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एचआईवी-एड्स से लड़ने के लिए जीन थैरेपी
एचआईवी या ह्युमन इम्युनोडेफिशिएंसी वायरस से एड्स नाम की बीमारी होती है, जो शरीर में रोग से लड़ने की क्षमता को कम या ख़त्म कर देती है. जीन थैरेपी के दौरान मरीज़ की श्वेत रक्त कोशिकाओं को उनके शरीर से निकाल कर उनमें क्लिक करें एचआईवी प्रतिरोधक क्षमता विकसित की गई और उन्हें दोबारा शरीर में डाल दिया गया. न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित एक छोटे अध्ययन में कहा गया है कि यह तकनीक पूरी तरह से सुरक्षित है.डॉक्टरों ने एचआईवी के 12 मरीजों की प्रतिरोधक प्रणाली यानी उनकी बीमारियों से लड़ने की क्षमता बढ़ाने के लिए जीन थैरेपी का इस्तेमाल किया है और इसके नतीजे काफी उत्साहजनक हैं.
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