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प्रजातंत्र का नया दौर शुरू ….युवाओ को निर्णय सोचकर लेना होगा
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दिलीप अवस्थी
प्रजातंत्र का नया दौर शुरू हो चूका है….अब हर आदमी नेताओ व् उसकी पार्टी की करतूतों को जानने समझने लगा है……युवाओ को अब निर्णय ये सोचकर लेना होगा की प्रत्याशी की जन भावना क्या है ……कार्य मे पारदर्शिता कितनी है……..चुनाव के बाद वो जनकार्य को लोगो से कितना साझा करता है………सरकार से मिलने वाले फण्ड का उपयोग जनता के सामने रखता है या बाले…बाले ही खर्च कर देता है……..उसके कार्य की समीक्षा जनता किस तरह से करेगी…..ये उसे बताना होगा……और हमें जानना भी चाहिए……हमने ये कभी भी जानने की कोशिश नहीं की , कि एक सांसद व् विधायक के कार्य क्या होते है व् उसकी जिम्मेदारिय क्या होती है….चुनाव के दौरान उनके वादों का आधार क्या है, और उसकी विश्वश्यनियता कितनी है,…
चुनाव के बाद हमारा क्या अधिकार है….क्या हम प्रयाशी को फिर ५ वर्षो बाद ही आकलन कर पाएंगे या फिर बीच मे भी उसपर प्रश्न चिन्ह लगा सकते है….एक सम्रध देश बनाने के लिए हमे और जागना होगा.
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