नेशनल डेस्क। बिहार के रोहतास जिले का रहने वाला 14 साल का शिवानंद बिना रेगुलर स्कूल गए ही सीधे आईआईटियन बन गया है। शिवानंद ने आईआईटी-जेईई (एडवांस) में 2587वां रैंक हासिल किया है। शिवानंद के पिता उन्हें इंजीनियर नहीं बल्कि संत बनाना चाहते थे। पिता ने शिवानंद को बालसंत बुलाना भी शुरू कर दिया था। प्रतिभा को मिला सहारा तो हुआ कमाल- धरमपुरा गांव के रहने वाले शिवानंद का कहना है कि ”2010 तक मेरा पढ़ाई की ओर बिल्कुल भी झुकाव नहीं था, इसके बाद मैंने गणित के सवाल हल करने शुरू किए। इसके बाद मुझे किसी ने कहा कि तुम IIT के लिए तैयारी करो, फिर मुझे दिल्ली की नारायणा एकेडमी से मदद मिली।” बता दें नारायणा एकेडमी ने शिवानंद की प्रतिभा देख उसकी पढ़ाई के सारे इंतजाम किया और सारी व्यवस्थाएं कीं। एकेडमी ने शिवानंद का स्कूल में दाखिला कराया और 10वीं-12वीं की तैयारी कराई। लेकिन वहां भी स्कूल जाने की बाध्यता नहीं थी।
10वीं के लिए कोर्ट ने दी अनुमति- आमतौर पर 10वीं परीक्षा के लिए निर्धारित उम्र 14 से 16 साल के बीच होनी चाहिए, लेकिन शिवानंद का मामला अनोखा है। दसवीं परीक्षा में हिस्सा लेने के लिए कोर्ट ने विशेष तौर पर उसे 12 साल की उम्र में परीक्षा देने की अनुमति दी थी। शिवानंद ने यह भरोसा भी नहीं तोड़ा और अच्छे नंबरों से परीक्षा पास की।
क्यों शिवानंद को बालसंत बनाने चाहते थे पिता- शिवानंद के पिता कमलकांत बताते हैं कि ”उसे बचपन से धार्मिकता पसंद थी, जिसके चलते उसने रामायण, महाभारत, भगवदगीता और कई पुराण पढ़ डाली, वह कई आयोजनों में इसे सुनाता भी था।” शिवानंद कहता है, ”जब मेरे पिता ने देखा कि मेरा ध्यान पढ़ाई की ओर खासकर गणित और विज्ञान पर है, तो उन्होंने उच्च शिक्षा के लिए अनुमति दे दी।”
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