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अब गिर के सिंह हमारे कूनो पालनपुर में दहाड़ेंगे
लंबे समय से एशियाई शेरों की राह देख रहे प्रदेश के कूनो पालपुर अभयारण्य के लिए खुशखबरी। ये खुशखबरी सुप्रीम कोर्ट से ही मिली है। गुजरात सरकार एशियाटिक लॉयन को ‘घर’ में ही रखने की अंतिम कानूनी जंग हार गई है। सुप्रीम कोर्ट ने उसकी क्यूरेटिव पिटीशन खारिज कर दी है। इसमें गिर के सिंहों को श्योपुर के कूनो अभयारण्य को देने के फैसले को चुनौती दी गई थी। जस्टिस आरएम लोढ़ा और एचएल दत्तू की पीठ ने मंगलवार को यह व्यवस्था दी। क्यूरेटिव पिटीशन खारिज होने के बाद गुजरात सरकार के पास सिंहों को मप्र जाने से रोकने के लिए कोई कानूनी विकल्प नहीं बचा है। गिर अभयारण्य के सिंहों को श्योपुर जिले के कूनो पालपुर अभयारण्य भेजने संबंधी सुप्रीम कोर्ट के पहले आदेश के खिलाफ गुजरात सरकार ने रिव्यू पिटीशन दाखिल की थी। यह खारिज हो गई थी। अप्रैल 13 में सुप्रीम कोर्ट ने सिंहों को देने के मामले में छह महीने में निर्णय करने का आदेश दिया था। जूनागढ़ के गिर अभयारण्य में 400 से अधिक सिंह हैं। वैकल्पिक निवास के रूप में चुना था कूनाे पालपुर : 1990 के दशक में एशियाटिक शेरों को महामारी-संक्रमण से बचाने के उद्देश्य से नया अभ्यारण्य विकसित करने का विचार भी आया था। वाइल्ड लाइफ सैंच्युरी ऑफ इंडिया ने तब कूनो अभ्यारण को पसंद किया था। हालांकि गुजरात सरकार तब से यही दलील दे रही है कि इस अभयारण्य में बाघ भी रहते हैं। इसलिए यहां शेर और बाघों के संघर्ष की आशंका रहेगी।
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