मसाले एक ओर जहां सब्जियों का स्वाद बढाते हैं, वहीं दूसरी ओर ये औषधीय गुणों से भरपूर भी होते हैं। मसालों का उपयोग हिंदुस्तानी रसोई में व्यंजनों के स्वाद को बेहतर बनाने के लिए किया जाता है। मसालों के औषधीय गुणों का जिक्र आयुर्वेद में भी खूब किया गया है। भारतीय किचन में तेजपत्ता भी मसाले के तौर पर उपयोग में लाया जाता है। हालांकि, तेजपत्ते की खेती वृहद स्तर पर दक्षिण भारत में की जाती है, लेकिन इसकी उपलब्धता भारत में हर जगह पर है। तेजपत्ता को दक्षिण भारत में तेजपान कहते हैं। इसका वानस्पतिक नाम सिन्नामोमम तमाला है। तेजपान के पत्तों के अलावा पौधे के तमाम अन्य हिस्से औषधीय गुणों की खान है। चलिए, आज जिक्र करते हैं तेजपत्ते के औषधीय महत्व का और जानते हैं किस तरह आदिवासी इसका इस्तेमाल विभिन्न हर्बल नुस्खों में करते हैं। तेजपत्ते के तेल से मालिश करने से सिरदर्द, लकवे और मांसपेशियों के दर्द में आराम मिलता है। माना जाता है कि रात में सोने से पहले इस तेल से मालिश की जाए तो बेहतर नींद आती है और रक्त संचार सही बना रहता है। शहद के साथ तेजपत्ते का चूर्ण लेने से सर्दी और खांसी में तेजी से आराम मिलता है। पातालकोट के आदिवासी कहते हैं कि जिनके मुंह में छाले हों, उन्हें इस फॉर्मूले का सेवन नहीं करना चाहिए।
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