इंदौर। लौकी,गिलकी और तुरई ये सब्जियां सामने आते ही ज़्यादातर लोग मुंह फेर लेते हैं, इन्हें पसंद नहीं करते। मगर इंदौर की एक कलाकार माधवी दुबे इन साधारण सी सब्जियों को इतनी सुन्दर कलाकृतियों में बदल देती हैं कि लोग उन्हें अपने आलीशान घरों में सजावट के लिए इस्तेमाल करते हैं। माधवी इन सब्जियों से फ्लावरपॉट, बोंसाई पॉट, शो पीस और अन्य कई तरह के आर्ट पीसेस बनाती हैं। प्राकृतिक चीज़ों से बनी उनकी इको फ्रेंडली कलाकृतियों के कद्रदान भारत से ज़्यादा विदेशों में हैं, जो ऑनलाइन शॉपिंग के माध्यम से उनसे इकोफ्रेंडली आर्ट पीस खरीदते हैं। माधवी बताती हैं कि लौकी के बाद उन्होंने गिलकी, तुरई और तुम्बा से भी कुछ आर्ट पीस बनाए। एक दिन उनके बेटे ने इनके फोटोज फेसबुक पेज पर डाल दिए। कुछ दिनों बाद उसने देखा कि ब्राजील से एक महिला ने इनके दाम पूछे। जब माधवी ने उसे बताया कि ये आर्टपीसेस सब्जियों से बने हैं और इनमें किसी भी आर्टिफिशियल मटेरियल का इस्तेमाल नहीं हुआ है, तो उसने तुरंत इसकी कीमत पूछी और बाद में इलेक्ट्रानिक मोड़ से बैंक खाते में पैसा ट्रांसफर कर आर्डर दे दिया। इसके बाद स्वीडन और ब्रिटेन से भी कुछ लोगों ने आर्डर भेजे। अब हर महीने कम से कम एक पीस का आर्डर मिल ही जाता है। माधवी के पति संजीव और बेटा समर भी कला में गहरी रूचि रखता है। वो दोनों भी माधवी की भरपूर मदद करते हैं। माधवी बताती है कि विदेशों में लोगों को इको फ्रेंडली चीज़ें खूब सुहाती हैं। यही कारण है कि उनको सब्जियों के आर्ट पीसेस पसंद आते हैं। आर्ट पीस बनाने के लिए माधवी पहले ख़ास ढंग से सब्जियों को सुखाती हैं फिर उसकी बाहरी सतह को रेजमाल से साफ़ कर, उस पर प्राकृतिक रंगों से रंग करती हैं और फिर उसे मनचाहा आकार देती हैं। वो जल्दी ही सब्जियों के इन कला शिल्पों की एक प्रदर्शनी भी लगाने वाली हैं।
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