
देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी के सेल्फ फायनेंस विभागों के दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों के पीएफ का पैसा जमा नहीं करवाने के मामले से उठे विवाद से कुल में नई कलह शुरू होने के बाद अब जिम्मेदारों को नया डर सता रहा है। कानूनविदों ने कहा है कि अगर इस मामले में ऑडिट का ऑब्जेक्शन जारी रहा तो जिम्मेदारों को जेल भी जाना पड़ सकता है।
हालत यह है कि विभागाध्यक्ष कुर्सी छोड़ने को तैयार हैं लेकिन नियोक्ता के तौर पर हस्ताक्षर नहीं करना चाहते। इतना ही नहीं कुलसचिव सालभर से भी कम वक्त में रिटायर होने वाले हैं। इसलिए वे किसी भी स्थिति में यह विवाद अपने सिर नहीं लेना चाहते। वैसे भी पैसों की जानकारी विभागाध्यक्षों को होती है।
ये है विवाद
दरअसल आईआईपीएस, आईएमएस, स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स, आईईटी और ईएमआरसी जैसे विभागों में काम कर रहे दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों के पीएफ का पैसा पिछले सात साल से जमा नहीं करवाए जाने पर पीएफ आयुक्त ने डीएवीवी पर चार करोड़ रुपए की पेनल्टी ठोकी थी। एक करोड़ रुपए तो जमा भी कर दिए गए थे। अब मामले की गंभीरता के कारण एक-दूसरे पर जिम्मेदारी थोपी जा रही है। कोई भी नियोक्ता बनने को तैयार नहीं है। क्योंकि पेनल्टी की राशि को लेकर ऑडिट को ऑब्जेक्शन आने के साथ ही कोर्ट में भी जवाब देना होगा।
Leave a Reply