शासकीय कैंसर अस्पताल में नए मरीजों की रेडिएशन थैरेपी (सिंकाई) बंद हो गई है। परमाणु ऊर्जा नियामक बोर्ड (एईआरबी) के निर्देश पर अस्पताल ने ऐसा किया है। ऐसे में नए मरीजों को निजी अस्पताल का सहारा लेना पड़ रहा है। इसके लिए उन्हें एक डोज (आठ से दस दिन) के 40 से 50 हजार रुपए देना पड़ रहे हैं, जबकि यहां सिर्फ 590 रुपए लगते हैं।
दरअसल एईआरबी की टीम करीब डेढ़ महीने पहले अस्पताल का निरीक्षण करने आई थी। तब यहां कुछ कमियां पाई गई थीं। इसी के चलते कोबाल्ट मशीन (जिस मशीन से रेडिएशन थैरेपी की जाती है) का उपयोग बंद करने के लिए पत्र भेजा है। हालांकि अभी पुराने मरीजों को थैरेपी दी जा रही है।
रोज होती है 100 मरीजोंं की सिंकाई
80 से 100 मरीजों को रेडिएशन थैरेपी दी जाती है। यहां वैसे ही थैरेपी के लिए लंबी वेटिंग रहती है। एकमात्र कोबाल्ट मशीन होने से कई मरीजों को लिया भी नहीं जाता। राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र से भी मरीज यहां आते हैं।
ये कमियां बताईं
>टेबल हिलती-डुलती मिली, जबकि ऐसा नहीं होना चाहिए।
>मरीज को मिलने वाले रेडिएशन डोज रिपोर्ट पर फिजिशियन के साइन नहीं थे।
>स्टाफ के पास टीएलडी बैच नहीं मिला।
>इस्तेमाल किए जा रहे बैच एक्सपायर अवस्था में पाए गए।
21 साल पुरानी मशीन से थैरेपी
कैंसर अस्पताल में 1994 की मशीन से थैरेपी की जा रही है। इसमें कई बार खराबी आई। मशीन बंद भी रही। फिर भी अस्पताल प्रबंधन ने नई मशीन नहीं खरीदी। इसको लेकर प्रस्ताव भी भेजे जा चुके हैं, लेकिन चिकित्सा शिक्षा विभाग ने ध्यान नहीं दिया। हाई कोर्ट में याचिका भी लग चुकी है।
नए मरीज लेना बंद कर दिए हैं
कोबाल्ट थैरेपी को लेकर कुछ आपत्तियां हैं। नए मरीज लेना बंद कर दिए हैं। केवल पुराने मरीजों की सिंकाई कर रहे हैं। रिपोर्ट में जो कमियां बताई थीं, उनका रेक्टिफिकेशन कर एईआरबी को भेज दिया है। – डॉ. फकरूद्दीन, अधीक्षक शासकीय कैंसर अस्पताल
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