
लाहौल और स्पीती हिमालय रेंज के बीच ये खूबसूरत झील समुद्र से 4300 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। इसे मून लेक के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि झील को पानी चंद्रा नदी से ही मिलता है। साथ ही, इसका आकार भी आधे चंद्रमा जैसा है।
लद्दाख और तिब्बत से आए व्यापारियों ने इस झील की खोज की थी और कुल्लू, स्पीती के सफर पर बढ़ने से पहले कुछ देर के लिए यहां रुके थे। चंद्रतल झील को देखने का प्लान गर्मियों में ही बनाएं, क्योंकि बाकी समय इसका पानी ठंड से जम जाता है। वैसे तो हिमाचल की लगभग हर जगह घूमने के लिहाज से बहुत ही बेहतर है, लेकिन कुमजुम पास से 6 किमी की दूरी पर स्थित इस झील के क्रिस्टल क्लियर पानी को देखकर एक अलग ही शांति और सुकून का अहसास होता है।
हिंदू मान्यताओं के अनुसार, भगवान इंद्र अपने रथ से पांडवों में सबसे बड़े युधिष्ठिर को लेने स्वयं यहां आए थे। यहां के लोगों का तो यहां तक कहना है कि रात में यहां परियां भी देखी जाती हैं।
घूमने आने का समय- जून से सितंबर के बीच।
Leave a Reply