
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से लॉ ग्रेजुएट और वहीं लॉ के प्रोफेसर डॉ. मैल्कॉम डाउडन इन दिनों शहर में हैं। वे इंदौर इंस्टिट्यूट ऑफ लॉ में शुरू हुई दो दिनी वर्कशॉप के लिए इंदौर आए हैं। सिटी भास्कर ने उनसे लीगल एजुकेशन पर बात की। पढ़िए क्या कहते हैं डॉ. मैल्कॉम –
“वर्ष 2014 में भारत से 13 .1 लाख कम्पनियां रजिस्टर हुईं। यह आंकड़े बिलकुल ऑथेंटिक हैं और बता रहे हैं कि इंडिया में एंटरप्रेन्योरशिप तेज़ी से बढ़ रही है। यंगस्टर्स एम्प्लॉइज़ के बजाय एम्प्लॉयर्स बन रहे हैं…लेकिन किसी भी तरह के बिज़नेस या स्टार्टअप में कई तरह के लीगल इश्यूज़ आते हैं। इन्हें समझने और सॉल्व करने के लिए लॉ की कम से कम बेसिक समझ होना बेहद ज़रूरी है। हम एंटरप्रेन्योरशिप को बढ़ावा देने की बात तो कर रहे हैं, लेकिन लीगल एजुकेशन के बग़ैर मज़बूती से पैर नहीं जमा सकेंगे।’
स्कूलों में कम्पल्सरी हो लीगल एजुकेशन
अपने आसपास और फ्रेंड सर्कल में पता करिए कि कितने लोग कानून के बारे में कितना जानते हैं। हाईली क्वॉलिफाइड्स को भी सतही जानकारी भी ठीक तरह से नहीं होगी। इसके लिए ज़रूरी है लॉ स्टडी स्कूल डेज़ से शुरू हो जाए। इसके क्राइम्स भी कुछ कम होंगे।
ग्रोइंग नेशन होने से इंडिया में ग्रोथ रेट हाई
वे देश जो विकासशील हैं वहां अपॉर्च्युनिटीज़ की कोई नहीं होती। हर सेगमेंट में स्कोप है और ग्रोथ रेट विकसित देशों से कई ज्यादा है। भारत में दुनियाभर के देश स्टार्टअप लगाना चाह रहे हैं। इंडिया हैज़ इमर्ज्ड एज़ ए होप।
Leave a Reply