
पेंशन किसी भी उम्रदराज व्यक्ति के लिए बहुत बड़ा सहारा होती है, लेकिन एक बुजुर्ग ने सेवा का ऐसा संकल्प लिया कि लगातार 13 साल से वे लोगों को नि:शुल्क इलाज दे रहे हैं। सरकारी नौकरी से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेकर उन्होंने क्लिनिक खोला और उसमें दो डॉक्टरों की नियुक्ति की। पूरे क्लिनिक पर होने वाला खर्च स्वयं उठाते हैं।
हम बात कर रहे हैं सुदामा नगर निवासी 76 वर्षीय नारायणदास गट्टानी की। वे कॉमर्स विषय के प्रोफेसर रहे हैं। कई शासकीय कॉलेजों में सेवा दी। प्रो. गट्टानी बताते हैं नौकरी के दौरान ही उनका होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति के प्रति रुझान बढ़ा। कई किताबें पढ़ीं।
इसके बाद उन्हें लगा यह इलाज एलोपैथी की तुलना में तो सस्ता है, लेकिन मध्यमवर्गीय परिवार इसका खर्च नहीं उठा सकता, इसलिए लोगों को नि:शुल्क होम्योपैथी चिकित्सा उपलब्ध करवाने के लिए वर्ष 2002 में क्लिनिक खोला। 13 साल में ढाई लाख से ज्यादा लोगों का इलाज कर चुके हैं, इसका लोगों को लाभ भी हुआ। दवा भी नि:शुल्क देते हैं। प्रो. गट्टानी ने बताया पेंशन की पूरी राशि क्लिनिक पर खर्च करते हैं। मरीजों की सेवा परमात्मा की सेवा है। यह इलाज सस्ता भी पड़ता है। रोजाना सैकड़ों मरीज लाभान्वित हो रहे हैं। हम कैंसर के मरीजों के लिए नेचुरोपैथी भी शुरू करवा रहे हैं। दो मरीजों पर इसका प्रयोग कर रहे हैं, जिसके सकारात्मक परिणाम देखने को मिल रहे हैं।
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