
वानखेड़े स्टेडियम में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ हुए पांचवें और अंतिम एकदिवसीय मुकाबले में टीम इंडिया सबसे बड़ी परीक्षा में खरी नहीं उतर पाई और उसे 214 रनों से करारी हार झेलनी पड़ी। रनों के लिहाज से भारत की दूसरी सबसे बड़ी हार रही। इससे पहले रनों के लिहाज से भारत की सबसे बड़ी हार श्रीलंका के हाथों 29 अक्टूबर, 2000 को शरजाह में 245 रनों से मिली।टीम इंडिया की इस हार के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार गेदबाज रहे। दक्षिण अफ्रीकी बल्लेबाजो ने मेजबान गेंदबाजों की ऎसी पिटाई की जिससे वे उबर नहीं पाए और जिसके बाद भारतीय बल्लेबाजों ने 439 रनों के दबाव के आगे घुटने टेक दिए। इस मैच में भुवनेश्वर कुमार विलेन साबित हुए। हालांकि, दूसरे गेदबाजों ने भी खूब रन लुटाए, लेकिन कुमार ने अपने 10 ओवरों में 106 रन लुटा डाले और उन्हें महज 1 विकेट मिला।भुवनेश्वर के बाद मोहित शर्मा दूसरे सबसे महंगे गेंदबाज साबित हुए। उन्होंने फेंके 7 ओवरों में 84 रन लुटा डाले। उन्हें भी महज एक विकेट मिला। तीसरे नंबर पर अमित मिश्रा आते हैं जिन्होंने अपने 10 ओवरों के कोटा में 78 रन डे डाले। हालांकि, उन्हें एक भी विकेट नहीं मिला। काफी समय बाद वनडे टभ्ीम में लौटे हरभजन सिंह भी कुछ खास प्रभाव नहीं डाल पाए और 10 ओवरों में 70 रन दे डाले। इस दौरान उन्हें एक विकेट मिला।दक्षिण अफ्रीकी बल्लेबाजों ने अक्षर पटेल को भी नहीं बक्शा। पटेल ने आठ ओवरों में 65 रन लुटाए, लेकिन कोई विकेट हासिल नहीं कर पाए। कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने सुरेश रैना और उपकप्तान विराट कोहली से भी गेंदबाजी करवाई। रैना ने तीन ओवर फेंके, जबकि कोहली को दो ओवर फेंकने को मिले। रैना ने जहां 19 रन दिए, कोहली के खाते में 14 रन गए। हालांकि, रैना एक विकेट लेने में कामयाब रहे, लेकिन भ्टीम इंडिया के उपकप्तान को एक भी विकेट नहीं मिला।
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