
इंदौर. आईआईटी, आईआईएम व देवी अहिल्या विश्वविद्यालय (डीएवीवी) सहित सभी शैक्षणिक संस्थान गांवों को गोद लेकर तकनीकी रूप से उनका विकास करेंगे।सरकार ने इन सभी को कम से कम एक-एक ग्राम पंचायत गोद लेने को कहा है। इसका उद्देश्य यह है कि शैक्षणिक संस्थान ग्रामीण परिवेश से सीधे जुड़ें और नई तकनीकों के उपयोग से वहां की समस्याओं के निराकरण में सहयोग करें। ये निर्देश मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने जारी किए हैं, जो कि विवि के कुलपति व प्राचार्यों सहित आईआईएम और आईआईटी को भेजे गए हैं। विवि को ये निर्देश उच्च शिक्षा विभाग ने भेजे हैं।
जिस ग्राम पंचायत का चुनाव करने के लिए जो निर्देश जारी किए हैं, उनमें कहा गया है कि देश में एक हजार से तीस हजार तक की जनसंख्या वाली पंचायतें हैं, लेकिन संस्थान अपने लिए जो पंचायत चुने वह पांच से सात हजार तक की जनसंख्या वाली होना चाहिए। यदि इस तरह की एक ग्राम पंचायत न मिले तो एक से ज्यादा पंचायतें ली जा सकती हैं और यदि बड़ी पंचायत हो तो उसकी पांच से सात हजार तक की जनसंख्या वाले हिस्से को गोद लिया जाए। किस संस्थान ने कौन सी ग्राम पंचायत ली है, इसकी जानकारी दिल्ली आईआईटी को दी जानी है। दिल्ली आईआईटी को इस योजना के लिए समन्वयक बनाया गया है। इन पंचायतों के लिए क्या योजना बनाई गई है, उसे भी इसी माह भेजा जाना है। इस योजना के लिए फंडिंग मनरेगा और ग्रामीण विकास व इससे संबंधित अन्य मंत्रालयों से की जाएगी।
उन्नत भारत अभियान में जिन कामों को किया जाना है उनकी सूची भी दी गई है। इसमें सेनिटेशन, पेयजल, ऊर्जा, गैर परंपरागत ऊर्जा, कृषि, सिंचाई, हस्तकला के लिए तकनीकी सुधार, सस्ते मकान, शिक्षा के स्तर में सुधार, स्वास्थ्य, पंचायत में सूचना प्रौद्योगिकी का उपयोग आदि क्षेत्रों में शैक्षणिक संस्थानों से काम करने की अपेक्षा की गई है। इसके लिए इन संस्थानों को अपनी एक फैकल्टी को नोडल अधिकारी भी बनाना होगा। नोडल अधिकारी को प्रशिक्षित भी किया जाएगा।
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