
इंदौर। हाथों में कैनवास, कंधे पर टंगे बैग में ब्रश, कलर और पेंटिंग टूल्स और तलाश एक ऐसी माकूल जगह की जहां पर बैठकर शहर की शान को कैनवास पर उतारा जा सके और यह जगह थी राजबाड़ा के सामने बना उद्यान, जहां शहर के बाल चितेरों से लेकर वरिष्ठ कलाकारों ने राजबाड़ा को अपने अंदाज में बनाया। संस्था ‘आर्ट एन हार्ट’ ने रविवार को आर्ट कैंप आयोजित किया। आयोजक प्रदीप कनिक ने बताया कि इस कैम्प का उद्देश्य एतिहासिक धरोहरों का संरक्षण, कला के प्रति लोगों के मन में दिलचस्पी जगाना, युवा कलाकारों को लैंडस्केपिंग, स्थापत्य कला की चित्रकारी, स्केचिंग, थ्री डायमेंशन आदि के बारे में बताना था।
राजबाड़ा को अपने ढंग से बनाने के लिए सभी ने अपने-अपने अंदाज के एंगल लिए। कुछ कलाकारों ने इसके लिए ने इजल (फ्रेम रखने का स्टैंड) रख लिया। एक्रेलिक, ऑइल, पेस्टल मीडियम के साथ चित्रकारी हुई और क्लेवर्क भी हुआ। यह क्लेवर्क अजय पुण्यासी ने किया, जिसमें उन्होंने राजबाड़ा बनाने के साथ ही ‘ग्रीन इंदौर क्लीन इंदौर’ कंसेप्ट को भी इसमें ढाला। वरिष्ठ कलाकार रमेश खेर, चंद्रशेखर शर्मा ने भी पेंटिंग की। 69 वर्ष के वरिष्ठ कलाकार वीजी भावे कहते हैं कि जब वे 18-19 साल के थे तब इसी जगह बैठकर चित्रकारी करते थे। उस वक्त राजबाड़ा चमकदार था, पर अब इसकी स्थिति बद से बदतर होती जा रही है। हो सकता है कलाकारों के ऐसी कोशिशें इसे दोबारा खूबसूरत बनाने की दिशा में सार्थक पहल बन जाए।
मंशा प्रदीप ने राजबाड़ा के एक झरोखे को कैनवास पर ब्राइट कलर से बनाया है। सीमा खरे और स्वाति शर्मा ने रियलस्टिक और एबस्ट्रेक्ट फॉर्म को कंपोज कर ब्राइट कलर से बनाया है। भुपेंद्र शमी और माधुरी गोले ने भी स्केच बनाए। धार के युवा कलाकार संजय लाहोरी, शहर के कौशल साहू के अलावा 11 साल की नन्ही रिद्म शुक्ला आदि ने भी इस कैंप में भाग लिया।
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