
वर्ष 2010 में रिलीज आई तेरे बिन लादेन की सफलता के बाद छह साल बाद अब बी-टाउन के निर्देशक अभिषेक शर्मा अपने चाहने वालों के बीच इसका सीक्वल लेकर आए हैं। उन्होंने इसमें ऑडियंस को लुभाने की कोई कोर-कसर बाकी नहीं रखी, लेकिल कॉमेडी का तड़का फीका लगा। हालांकि अभिषेक को अपनी इस फिल्म से काफी उम्मीदें हैं और उन्हें विश्वास है कि ऑडियंस उनके काम की सराहना जरूर करेगी।
निर्देशक अभिषेक शर्मा ने अपनी सीक्वल फिल्म में कई तरह के नए प्रयोग किए हैं। उन्होंने बिन लादेन जैसे गंभीर विषय को बड़े पर्दे पर कॉमेडी लहजे से पेश किया है, जिसमें वे कुछ हद तक सफल रहे हैं, लेकिन सीक्वल में वो बात नहीं, जो पहले वाली फिल्म में थी। अभिषेक ने वाकई में कुछ अलग करने की कोशिश तो की है, लेकिन ऑडियंस को कितना हंसा पाए, यह तो बॉक्स ऑफिस के नतीजे से बखूबी लगाया जा सकेगा। फिल्म के डायलॉग्स अच्छे लिखे गए हैं। �फिल्म का कमजोर पक्ष है टेक्नोलॉजी और सिनेमेटोग्राफी। इसमें बहुत कुछ करने की गुंजाइश थी, जो नजर नहीं आई। गीत-संगीत काम चलाऊ है।
मनोरंजन के लिहाज से फिल्म देखी जा सकती है, लेकिन यदि आप यह सोचकर फिल्म देखने जा रहे हैं कि दिल खोलकर हंसने को मिलेगा, तो इसमें निराशा ही हाथ लगेगी। फिल्म कहीं हंसाती है, तो कहीं दिमाग पर जोर डालती है। इसलिए इस फिल्म को कॉमेडी का फुल एंटरटेनमेंट नहीं कह सकते।
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