
इंदौर। जागरुकता के अभाव और बैक्टीरिया के संक्रमण से टीबी रोग के जिले में रोजाना 16 से अधिक मरीज सामने आ रहे हैं। इनमें कुछ मरीज ऐसे भी हैं, जिन पर दवाओं का असर नहीं होता या बहुत धीरे-धीरे होता है। एक मरीज की बलगम से फैलने वाले बैक्टीरिया से 10 से 15 नए व्यक्तियों में बीमारी फैल रही है। यह एक संक्रामक रोग है और मायको बेक्टेरियम ट्यूबरकुलोसिस नामक बैक्टीरिया से होता है।
जिला स्वास्थ्य समिति की रिपोर्ट से यह बात सामने आई है। डॉक्टरों के अनुसार पूर्ण एवं नियमित उपचार लेने से टीबी रोग से बचा जा सकता है। अधूरा इलाज छोडऩे पर यह बीमारी भयंकर रूप (एमडीआर या एक्सडीआर) धारण कर लेती है। गुरुवार को विश्व टीबी डे है। टीबी को समाप्त करने के लिए इस बार की थीम भी यूनाइट टू एंड टीबी रखी गई है।
पुनरीक्षित राष्ट्रीय क्षय नियंत्रण कार्यक्रम के अंतर्गत वर्ष 2015 में 35,047 मरीजों के बलगम की जांच की गई। इनमें 6071 लोगों में टीबी के लक्षण मिले। इनमें 2317 मरीज ऐसे मिले, जिनमें टीबी के कीटाणु थे। इनका सरकारी और गैर सरकारी अस्पतालों में उपचार चल रहा है। कई बार नियमित रूप से उपचार न लेने के कारण ये मरीज ही टीबी फैलाने का काम करने लगते हैं।
जिला क्षय अधिकारी डॉ. विजय छजलानी ने बताया, बैक्टीरिया के संक्रमण से होने वाले टीबी रोग को फेफड़ों का रोग माना जाता है। फेफड़ों से रक्त प्रवाह के साथ यह शरीर के अन्य भागों जैसे हड्डियों, ग्रंथियों, आंत, प्रजनन तंत्र के अंग, त्वचा और मस्तिष्क के ऊपर की झिल्ली में प्रवेश कर जाते हैं। इससे आंत, मस्तिष्क, हड्डियों, जोड़, गुर्दे, आंखों और हृदय में टीबी हो सकती है। नाखून और बाल को छोड़कर शरीर के अधिकांश अंगों में टीबी का रोग होता है। पूर्ण एवं नियमित उपचार लेने से टीबी रोग से बचा जा सकता है। यदि किसी को टीबी है, तो वह खांसते वक्त मुंह पर कपड़ा रखे और इधर-उधर थूंके नहीं। नियमित भोजन करे, ताकि प्रतिरोधक क्षमता कम न हो।
Leave a Reply