इस फिल्म के ट्रेलर लॉन्च पर शाहरुख़ ने बताया कि उनके किरदार को रचने के लिए बहुत एडवांस्ड विजुअल इफेक्ट्स का इस्तेमाल किया गया है और इसे बनाने में दो साल का वक्त लगा है.
निर्देशक आनंद एल राय की इस फिल्म में कई तरह के विजुअल इफेक्ट्स का इस्तेमाल किया गया है, जिसका काम शाहरुख़ की कंपनी रेड चिलीज़ वीएफएक्स के पास है.
पहले भी फिल्मों में विजुअल इफेक्ट्स के ज़रिए छोटे को बड़ा और बड़े को छोटा दिखाया जाता रहा है. ‘जानेमन’ फिल्म में अनुपम खेर और ‘अप्पू राजा’ फिल्म में कमल हसन भी बौने शख्स का किरदार निभा चुके हैं.फिल्मों में बौना दिखाने के लिए कुछ खास तकनीकों का इस्तेमाल किया जाता है. ‘ज़ीरो’ फिल्म में भी शाहरुख़ को बौना दिखाने के लिए ऐसी ही तकनीकों का इस्तेमाल किया गया होगा.
फोर्स्ड परस्पेक्टिव’, यह ऐसी तकनीक है जिसमें ‘ऑप्टिकल इल्यूजन’ की मदद से किसी ऑबजेक्ट को छोटा, बड़ा, दूर या पास दिखाया जा सकता है.
इस तकनीक का इस्तेमाल हम आमतौर पर भी देखते हैं जैसे किसी की हथेली में बहुत ऊंची इमारत को दिखाना. इसमें इमारत छोटी दिखने लगती है और हथेली अपने ही आकार में दिखती है.
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