कोरोना संकट के बीच प्रदेश की देहरी पर आर्थिक संकट ने धमाकेदार दस्तक दे दी है। शपथ लेते ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को दोहरी चुनौती से जूझना पड़ रहा है। इनमें किसी एक से भी उबारना आसान नहीं है। कोरोना संकट के कारण एक तरफ लोग मौत के मुंह में जा रहे हैं। वायरस की चपेट में आने वाले लोगों का आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है। दूसरी तरफ व्यापार, कारोबार, निर्माण सब ठप है। शराब की बिक्री पर रोक लगानी पड़ी है। नतीजे में देश के साथ मप्र भी दोहरी मार का शिकार है। लोग बीमार हो रहे हैं, कालकलवित हो रहे हैं और प्रदेश की आर्थिक हालत बिगड़ती जा रही है। सरकार को हर रोज करोड़ों का नुकसान हो रहा है। इन हालातों के चलते मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को कमलनाथ की तत्कालीन सरकार द्वारा सरकारी कर्मचारियों के लिए घोषित 5 फीसदी महंगाई भत्ता देने का आदेश रद्द करना पड़ा है।
पहले सियासी ड्रामा, फिर कोरोना संकट
जब साल का वित्तीय वर्ष समाप्त हो रहा था। विधानसभा के बजट सत्र की अधिसूचना जारी हो चुकी थी। ऐसे में प्रदेश में सियासी ड्रामा शुरू हो गया। राजनीतिक उठापटक के बीच कमलनाथ सरकार चली गई और भाजपा की सरकार आ गई। इस बीच कोरोना आ धमका। लॉकडाउन के बीच शिवराज सिंह चौहान को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेना पड़ी। मंत्रिमंडल नहीं गठित हुआ। लॉकडाउन के कारण सभी सरकारी, व्यापारिक तथा राजनीतिक गतिविधियां ठप हो गर्इं। बीस दिन में सरकार को बड़ा आर्थिक नुकसान हो गया। 14 अप्रैल तक कितना नुकसान होगा, कोई अंदाजा लगाने की स्थिति में नहीं है। लॉकडाउन की अवधि और बढ़ने की संभावना है। साफ है, वित्तीय संकट दस्तक दे चुका है। इसके और विकराल होने की संभावना है।
वित्तीय भयावहता, हर तरफ नुकसान
लॉकडाउन के कारण नुकसान की क्या स्थिति है, इसका अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि मार्च के महीने में रजिस्ट्री करने वालों की संख्या 35 से 40 फीसदी से भी कम रही। केंद्र सरकार से मिलने वाली राशि अटक गई। होटल, रेस्टोरेंट की आमदनी न के बराबर है। सिनेमा हॉल-मॉल सब बंद हैं। सरकार को टैक्स नहीं मिल रहा। छूट के प्रावधान अलग करना पड़ रहे हैं। वाहनों की आवाजाही बंद होने से पेट्रोल और डीजल की खपत न के बराबर है। अर्थात हर तरफ नुकसान ही नुकसान।
दो हजार करोड़ घट सकता है टारगेट
वाणिज्य कर विभाग ने चालू वित्तीय वर्ष के लिए लगभग 54 हजार 888 करोड़ रुपए कर वसूली का टारगेट तय किया था। इसमें लगभग दो हजार करोड़ रुपए का नुकसान होने की आशंका है। कोरोना का असर जमीन-मकान और दुकान की रजिस्ट्री पर दिखाई दे रहा है। रजिस्ट्री से राज्य सरकार को 65 सौ करोड़ राजस्व वसूली की उम्मीद थी लेकिन कोरोना की मार की वजह से इस पर बड़ा अंतर आ गया।
शराब पी गई तीन सौ करोड़
सरकार को शराब की बिक्री से अच्छी खासी आमदनी होती है। कोरोना का असर इस आमदनी पर भी पड़ा है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा शराब बिक्री पर रोक लगाने के निर्देश के बाद शराब की दुकानें बंद हैं। इस वजह से आबकारी विभाग को होने वाली आय घटना तय है। विभाग ने इस वित्तीय वर्ष में 11 हजार 500 करोड़ रुपए आय का टारगेट तय किया था। अब इसमें 300 करोड़ तक के नुकसान की आशंका जताई जा रही है। अर्थात लोग भले शराब नहीं पी रहे लेकिन शराब सरकार की आमदनी पी रही है।
माइनिंग से आय पर बड़ा फर्क
लॉकडाउन के कारण निर्माण कार्य बंद होने का सीधा असर माइनिंग पर पड़ा है। इससे सरकार को होने वाली आय बुरी तरीके से प्रभावित हुई है। जीएसटी लागू होने के बाद केंद्र सरकार से मिलने वाला क्षतिपूर्ति का पैसा राज्य सरकार को नहीं मिला। लॉकडाउन की अवधि बढ़ाई जाती है तो हालात और खराब होंगे। शिवराज सिंह कहते हैं, आर्थिक हालात तो ठीक हो जाएंगे लेकिन अभी लोगों की जान बचाना हमारी प्राथमिकता है। इस आधार पर वे लॉक डाउन बढ़ाने के पक्ष में हैं।
शिवराज के सामने एक साथ कई चुनौतियां
रबी फसल की खरीदी एक अप्रैल से शुरू होती है। लॉकडाउन के कारण सरकार ने यह 15 अप्रैल से शुरू करने का फैसला किया। लॉकडाउन बढ़ा तो इसमें परेशानी आएगी। इसके लिए भी सरकार को करोड़ों रुपए की जरूरत होगी। कमलनाथ ने समर्थन मूल्य पर चना, मसूर और सरसों की खरीदी करने की मांग भी की है। ऐसे में सरकार के सामने अपने मौजूदा वित्तीय संसाधनों के साथ स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाना, जरूरतमंदों तक मदद पहुंचाने की बड़ी चुनौती है। कोरोना के कारण पैदा संकट से प्रदेश कब तक उबर पाएगा, कुछ कहा नहीं जा सकता।