भोपाल। प्रदेश के सरकारी व निजी इंजीनियरिंग कॉलेजों में इस बार भी वे छात्र कक्षा 12 वीं के आधार पर एडमिशन ले सकेंगे, जो किसी कारणवश सीबीएसई द्वारा आयोजित प्रवेश परीक्षा जेईई-मेन नहीं दे पाए। कक्षा 12 वीं के अंकों के आधार पर एडमिशन की प्रक्रिया कॉलेज लेवल काउंसलिंग (सीएलसी) से होगी। ऑनलाइन ऑफ कैंपस काउंसलिंग के पहले और दूसरे चरण के बाद सीएलसी होगी। सीएलसी के लिए कॉलेज स्तर पर ही काउंसलिंग कमेटी गठित की जाएगी।
इस कमेटी के सदस्यों में कॉलेज संचालक के साथ ही प्रिंसीपल या डायरेक्टर तथा संबंधित संकाय का डीन व एचओडी शामिल होंगे। सीएलसी में भाग लेने वाले छात्रों के दस्तावेजों का सत्यापन कॉलेज की काउंसलिंग कमेटी द्वारा ही किया जाएगा।
तकनीकी शिक्षा विभाग ने सीएलसी को लेकर अभी तक बनी पसोपेश की स्थिति साफ कर दी है। इस बार विभाग ने सीएलसी की सारी जिम्मेदारी कॉलेजों को ही सौंप दी है। सीएलसी के दौरान तकनीकी शिक्षा विभाग का कोई प्रतिनिधि मौजूद नहीं रहेगा। संचालक तकनीकी शिक्षा अरुण नाहर ने कॉलेज संचालकों को साफ हिदायत दी की दस्तावेजों के सत्यापन में गलती होने पर इसकी सारी जिम्मेदारी कॉलेज स्टॉफ की ही होगी। विभाग ने प्रत्येक गलती पर इस बार दंड का प्रावधान भी किया है। पहली गलती पर कॉलेज पर एक लाख रुपए का तथा दूसरी गलती होने पर दो लाख रुपए का जुर्माना लगाया जाएगा। तीसरी गलती पर विभाग संबंधित कॉलेज की मान्यता समाप्त करने के लिए अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद व राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय को अनुशंसा कर देगा।
विभाग ने पिछले साल दस्तावेजों के सत्यापन में हुई गड़बड़ी को देखते हुए यह निर्णय लिया है। संचालक के अनुसार गत वर्ष कॉलेज स्तर काउंसलिंग के दौरान छात्रों से संबंधित जो जानकारी विभाग को उपलब्ध कराई गई थी, उसमें काफी गलतियां थी। इन गलतियों को सुधारने में ही विभाग को छह से आठ महीने लग गए थे।
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