इंदौर. देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी इस सत्र से एंटी करप्शन का पाठ नहीं पढ़ा पाएगी। क्योंकि सिलेबस तैयार करने से लेकर बाकी की प्रक्रिया में कम से कम छह माह का वक्त लगेगा। हालांकि इस बार से छात्र एंटी करप्शन पर अपनी पूरी पीएचडी भी कर सकेंगे। यूजीसी(यूनिवर्सिटी ग्रांट कमिशन) ने इसके लिए आस्ट्रिया की राजधानी वियेना की इंटरनेशनल एंटी करप्शन एकेडमी से टाई-अप किया था। यह एकेडमी एंटी करप्शन से जुड़े महत्वपूर्ण रिसर्च पेपर और खुद के डिजाइन किए कोर्स भी यूजीसी को उपलब्ध करवाएगी। इस मामले में यूजीसी के फायनेंस सेक्रेटरी ने इसे लेकर इंदौर सहित सभी यूनिवर्सिटी के कुलपतियों को पत्र लिखा है। इसमें कहा गया था कि सारी यूनिवर्सिटी को कोर्स में एंटी करप्शन का पाठ पढ़ाना होगा। खास बात यह है कि परंपरागत कोर्स में शामिल होने के साथ ही एंटी करप्शन पीएचडी का भी हिस्सा बनेगा और शोधार्थी को इसी विषय में पूरी पीएचडी ही अवॉर्ड होगी। शोध के लिए वियेना एकेडमी शोधार्थियों को रिसर्च सुविधा, ई-लाइब्रेरी के जरिये आंकड़े और तमाम जरूरी चीजें उपलब्ध करवाएंगी। अर्थशास्त्र, समाजशास्त्र, राजनीतिक विज्ञान और लोक प्रशासन के साथ लॉ में भी पीएचडी की जा सकेगी।
इन विषयों पर हो सकेगी
करप्शन के नए और अलग-अलग तरीके और उसे रोकने के उपाय।
करप्शन के बढ़ते दायरे के कारण और उस पर अंकुश लगाने के प्रयास।
करप्शन के खिलाफ चलाई जाने वाली अलग-अलग मुहिम का असर।
करप्शन रोकने में सरकार की भूमिका।
बीए, एमए राजनीतिक विज्ञान में होगा शामिल –
यूजीसी ने स्पष्ट किया है कि शुरूआत में यह विषय बीए में राजनीतिक विज्ञान और एमए में(राजनैतिक विज्ञान, मानव अधिकार और लोक प्रशासन)शामिल किया जाएगा। इसके बाद इसे अगले साल से सभी कोर्स में अनिवार्य किया जाएगा। यूनिवर्सिटी को इस निर्णय पर मुहर लगाकर जानकारी यूजीसी को भेजना होगी। हालांकि इंदौर में यह अगले साल ही संभव हो पाएगा।
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