भावनात्मक आवाज़ों जैसे रोने की आवाज़, हंसने की आवाज़ पर भी कुत्तों की वैसी ही प्रतिक्रिया होती है जैसे आदमी के दिमाग में. इसीलिए शायद मानवीय संवेदनाओं के साथ कुत्तों की तारतम्यता बैठ जाती है.
बुडापेस्ट में हंगरी एकेडमी ऑफ साइंस के विश्वविद्यालय इटोवस लोरान्ड की प्रमुख लेखिका एटिला एंडिक्स ने कहा, “हम सोचते हैं कि कुत्तों और इंसानों की भावनात्मक प्रक्रिया की व्यवस्था एक ही तरह की है.”
11 पालतू कुत्तों को इस अध्ययन में शामिल किया गया. इससे पहले उन्हें कुछ समय तक प्रशिक्षण भी दिया गया.
डॉ. एंडिक्स ने कहा “हमने सकारात्मक रणनीतियों का इस्तेमाल किया – बहुत सारी प्रशंसा,”.
तुलनात्मक अध्ययन के लिए 22 मनुष्यों के भी दिमाग़ की स्कैनिंग करके उन्हें समझने की कोशिश की गई.
वैज्ञानिकों ने विभिन्न तरह की 200 तरह की आवाज़ों का इस्तेमाल इस अध्ययन में किया. इसमें कार, सीटी और वातावरण की आवाज़ों समेत मानवीय आवाज़ों को भी शामिल किया गया था.
एक जैसी संरचना
मनुष्यों और कुत्तों, दोनों ही मामलों में मानवीय आवाज़ पर दिमाग का टेम्पोरल पोल भाग सक्रिय हो जाता है.
शोधकर्ताओं ने पाया कि मनुष्यों और कुत्तों, दोनों ही मामलों में मानवीय आवाज़ पर दिमाग़ का टेंपोरल पोल भाग सक्रिय हो जाता है.
डॉ. एंडिक्स ने कहा “हम जानते हैं कि मानव दिमाग़ में एक हिस्सा होता है, जो मानवीय आवाज़ों पर किसी भी अन्य आवाज़ की तुलना में मज़बूत प्रतिक्रिया देता है. हमने इसी तरह की संरचना कुत्तों के दिमाग़ में भी पाई. हमने जो तथ्य पाया, वह है कि इस तरह की संरचना सारे कुत्तों में मौजूद है मगर आश्चर्य यह है कि पहली बार इस संरचना को हमने गैर वानर प्रजाति में देखा.”
हालांकि कुत्तों की प्रतिक्रिया मानवीय आवाज़ पर थी, लेकिन कुत्तों की आवाज़ पर उनकी प्रतिक्रिया ज़्यादा थी.
मानवीय आवाज़ों की तुलना में वातावरण की आवाज़ों और शोर के बीच फ़र्क करना उनके लिए मुश्किल था.
इस पर प्रतिक्रया देते हुए इंस्टीट्यूट ऑफ कॉग्नीटिव न्यूरोसाइंस, लंदन की प्रोफ़ेसर सोफ़ी स्कॉट ने कहा “वानर प्रजाति में इस तरह के गुण पाना आश्चर्यजनक नहीं है, लेकिन कुत्तों में इसे देखना आश्चर्यजनक है.
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