इंदौर, बेंगलुरु, हैदराबाद और दिल्ली, ये रेडियल सिटीज़ हैं। रेडियल सिटी यानी एक सेंटर के साथ गोलाई में फैले हुए शहर। वहीं मुंबई लीनियर सिटी है। रेडियल सिटी का आर्किटेक्चरल डेवलपमेंट सही तरीके से किया जाए तो शहर कभी कंजेस्टेड नहीं होगा। प्लानिंग ऐसी हो कि सिटी सेंटर को कंजस्टेड न किया जाए आउटवर्ड डेवलपमेंट हो। प्लानिंग में विज़न 40 साल आगे का हो। यह कहा आर्किटेक्ट नितिन पारुलेकर ने जो एसडीपीएस वुमंस कॉलेज में आर्किटेक्चरल वर्कशॉप लेने आए थे। पुणे लवासा और होटल रेडीसन ब्लू मुंबई भी उनके प्रोजेक्ट्स की फेहरिस्त में शामिल हैं। नितिन बताते हैं आर्किटेक्ट्स के लिए क्लाइंट की डिमांड और उनका स्वभाव समझना बहुत ज़रूरी है। इसके लिए मैं अपने क्लाइंट के साथ वक्त बिताता हूं। प्लान बनाने से पहले उनसे कई बार मिलता हूं। इन मुलाकातों में उनसे कोई सवाल नहीं करता। बस उन्हें जानने की कोशिश करता हूं। जब उनके लाइक्स डिसलाइक्स समझने लगता हूं तब पेपर वर्क शुरू करता हूं।
Leave a Reply