
यहएक ऐसा दौर है जहां स्टूडेंट्स बहुत तेजी से नॉलेज गेन कर रहे हैं। यूनिवर्सिटीज़ को स्टूडेंट्स की स्पीड और तरीकों के बीच कॉर्डिनेशन करना होगा। 21वीं सदी में यूनिवर्सिटीज़ की यह जिम्मेदारी बनती है कि वे इंटरनेशनल स्टैंडर्ड के स्टूडेंट्स प्रोवाइड करें। यह बात स्टेट यूनिवर्सिटी ऑफ न्यूयॉर्क, बफेलो, यूएसए के प्रेसीडेंट डॉक्टर सतीश के. त्रिपाठी ने गुरुवार को यूनिवर्सिटी ऑडिटोरियम में कही। वे डीएवीवी के गोल्डन जुबली लैक्चर सीरीज के तहत ट्रांसफॉर्मिंग यूनिवर्सिटीज़ इन 21 सेंचुरी विषय पर बोल रहे थे।
लोकलऔर ग्लोबल विजन जरूरी
विषयपर प्रोफेसर त्रिपाठी ने आगे कहा कि यूनिवर्सिटीज को फ्यूचर प्लानिंग पर काम करते समय टीचिंग और स्टडी का माहौल, रिसर्च केसाथ लोकल तथा ग्लोबल विजन का भी ध्यान रखना होगा। उन्होंने कहा कि डेवलपमेंट एक कंटीन्यूअस प्रोसेस है और यूनिवर्सिटी को इसे बनाए रखना चाहिए।
डीएवीवी के कुलपति प्रोफेसर डी.पी. सिंह ने कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए देश के एजुकेशन सिनेरियो में प्रपोज्ड चेंजेंस के बारे में अपनी बात रखी। इस दौरान आईईटी के डायरेक्टर डॉ. संजीव टोकेकर, रजिस्ट्रार आर.डी. मूसलगांवकर सहित सभी एचओडी मौजूद थे।
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