इंदौर. ग्रामीणों को गांव में रहते हुए ही इलाज के लिए शहर के डॉक्टरों की सलाह मिल जाएगी। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय टेली मेडिसिन प्रोजेक्ट शुरू कर रहा है। इसमें एमजीएम मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से परामर्श दे सकेंगे। पहले चरण में देश के 35 मेडिकल कॉलेज शामिल किए जा रहे हैं, जिनमें मप्र से इंदौर और जबलपुर शामिल हैं। प्रोजेक्ट 103.99 करोड़ का है। इसके लिए पांच रीजनल सेंटर बनाए गए हैं। इंदौर के लिए ऑल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेस (एम्स) दिल्ली रीजनल सेंटर है। नेशनल नॉलेज नेटवर्क के माध्यम से मेडिकल कॉलेज से प्राथमिक और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों को जोड़ा जा रहा है। इससे गांव के डॉक्टर मरीजों का इलाज करते समय पैथोलॉजी, कार्डियोलॉजी, रेडियोलॉजी, डर्मेटोलॉजी, ऑप्थेल्मोलॉजी, ओंकोलॉजी के विशेषज्ञ डॉक्टरों से परामर्श कर सकेंगे। योजना में ऑडियो-वीडियो सहित अन्य जरूरी उपकरण केंद्र सरकार लगाएगी। कॉलेज में डिजिटल मेडिकल लेक्चर थिएटर और वर्चुअल डिजिटल लाइब्रेरी बनाई जाएगी। कॉलेज स्तर पर प्रोग्राम मेनेजमेंट कमेटी बनाई जाएगी। गांव के अस्पताल में नियुक्त होने वाले कर्मचारियों का वेतन और उपकरणों का मेंटनेंस खर्च केंद्र सरकार उठाएगी। चिकित्सा शिक्षा विभाग इसका प्रस्ताव वित्त विभाग को सौंप चुका है। राज्य सरकार को सहमति देकर एमओयू साइन करना है। जो भी लागत आएगी, उसमें से राज्य सरकार को 70 लाख रु. की हिस्सेदारी देना होगी। पांच साल केंद्र की जिम्मेदारी, फिर राज्य की पांच साल के लिए केंद्र सरकार संसाधन उपलब्ध करवाएगी। इसके बाद राज्य को जिम्मेदारी उठाना होगी। इसके अलावा आशा कार्यकर्ता को मोबाइल, डिजिटल टैब और यूनिक कार्ड भी दिया जाएगा। इससे मरीजों का डाटा चिप में रहेगा। प्रोजेक्ट में नेशनल इन्फॉर्मेशन सेंटर की सेवा ली जाएगी। पहले भी ऐसे प्रयोग किए जा चुके हैं, लेकिन तब इसरो के माध्यम से कनेक्टिविटी दी जाती थी। यह प्रयोग सफल नहीं रहा था।
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