मेलबर्न। यह एक ऐसा दिल है, जो धड़कता नहीं। पर दिल के सारे काम करता है। शरीर में खून का प्रवाह भी। वो भी बिना किसी रुकावट के। यह धड़कने वाला दुनिया का पहला बायोनिक दिल है। इसके मानव परीक्षण में तीन से पांच साल लगेंगे। उसके सालभर बाद यह ट्रांसप्लांटेशन के लिए तैयार होगा। ऑस्ट्रेलियाई वैज्ञानिकों ने इसे विकसित किया है। फिलहाल इस कृत्रिम दिल का सफल ट्रांसप्लांट एक भेड़ में किया गया है। ब्रिस्बेन के इंजीनियर डॉ. डेनियल टिम्स ने इस पर 2001 में काम शुरू किया था। डॉ. टिम्स ने बताया कि प्रत्यारोपण के लिए ऐसी भेड़ का चयन किया, जिसका सीना किसी महिला या बच्चे जितना हो। प्रत्यारोपण जनवरी में किया गया था और भेड़ अब तक स्वस्थ है। यह कृत्रिम दिल 10 साल से ज्यादा समय तक काम करेगा। यह पंप नहीं करता। इसमें पहले बनाए गए कृत्रिम दिलों की तरह गुब्बारे की थैलियां नहीं हैं। इसलिए इसके फटने का खतरा भी नहीं है। इसमें डिस्क लगी है, जो प्रति मिनट 2000 चक्कर लगाती है। इसी से यह काम करता है। इसका नाम बाइवेकॉर रखा गया है। हार्ट ट्रांसप्लांट का खर्च घटकर आधा होने की उम्मीद जताई जा रही है। तैयार करने में 14 साल लगे। इस पर 2001 से काम हो रहा है। 50 साल से ज्यादा उम्र के लोगों के लिए भी बराबर उपयोगी होगा। इसका आकार इतना छोटा है कि बच्चों में भी लगाया जा सकता है। इसके लगाने के बाद एथलेटिक एक्सरसाइज भी की जा सकती है। अभी आर्टिफिशयल दिल नहीं लगते। पेसमेकर, लूप या वॉल्व ही लगाए जाते हैं। या किसी इंसान का दिल ही ट्रांसप्लांट किया जाता है। इनका सक्सेस रेट बहुत कम है।
Leave a Reply