
इंदौर। 18 हजार 632 फीट की ऊंचाई और माइनस 40 डिग्री तापमान, करीब 1100 किलोमीटर तक 55 घंटे की नॉन स्टॉप ड्राइव, दिल्ली से दुनिया के सबसे ऊंचे मोटरेबल माउंटेन पास मार्सिमिक ला दर्रे तक। स्वस्थ्य इंसान के लिए भी यह कर दिखाना नामुमकिन ही है पर 2004 में यह कारनामा करके वर्ल्ड रिकॉर्ड में अपना नाम शामिल करवाया है लकवाग्रस्त कैप्टन नवीन गुलिया ने। उन्होंने स्पेशल व्हीकल के जरिए सिर्फ हाथों से ड्राइव करके यह रिकॉर्ड कायम किया। मंगलवार को वे डेली कॉलेज में यंग राउंड स्क्वेयर कॉन्फ्रेंस में बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए। उन्होंने स्टूडेंट्स से कहा कि हार से बड़ा हार का डर होता है। मैं कई बार असफलता हुआ पर सफलता तभी हाथ आई जब मैंने असफलता का डर निकाल दिया। आप भी निडर होकर सपने पूरे कीजिए।
‘समवेयर ओवर द रेनबो-ड्रीमिंग ऑफ ए वंडरफुल वर्ल्ड’ थीम पर हो रही इस कॉन्फ्रेंस में देश के 26 और 16 विदेशी स्कूलों के स्टूडेंट्स ने दिनभर अलग-अलग एक्टिविटीज कीं। राउंड स्क्वेयर के चेयरमैन रोड फ्रेजर, डिप्टी चेयरमैन गाय मैक्लीन, साउथ एशिया और गल्फ रीजन की रीजनल डायरेक्टर पापरी घोष और रीजनल सपोर्ट मैनेजर राजबीर कौर साधु भी शहर आए हैं। यह कॉन्फ्रेंस 10 दिसंबर तक चलेगी।
जिंदगी और इसके हर पल से प्यार है और यही प्यार 1995 में दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद मुझे दो साल बाद अस्पताल से जीवित ले आया। लोग कहते हैं मेरे पास खुश होने के लिए कोई कारण नहीं हैं, पर मैं कहता हूं कि आपके सांसें चल रही है यही सबसे ज्यादा खुशी की बात है। कैप्टन नवीन गुलिया ‘अपनी दुनिया अपना आशियाना (अदा)’ नाम से अंडरप्रिविलेज्ड चाइल्ड के लिए एनजीओ भी चलाते हैं।
स्टूडेंट्स को मैसेज देते हुए कैप्टन नवीन ने कहा कि इंसान पढ़ने या सुनने से नहीं सीखता बल्कि प्रश्न पूछने से सीखता है। पैरेंट्स भी बच्चों को प्रश्न पूछने के लिए प्रोत्साहित करें और बच्चों को सीधे किसी भी बात को सच मान लेने के बजाए उसके तर्कसंगत जवाब खोजने चाहिए। उन्होंने स्टूडेंट्स को एक विस्डम डायरी बनाने के लिए भी कहा।
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