
सिंगर को सक्सेस पाने के लिए परफॉर्मर होना जरूरी है, पर खुद को परफॉर्मर बनने से पहले सिंगिंग की बारिकियों को सीखना ज्यादा इम्पॉर्टेंट है। यह कहना है फिल्म इश्क, बाबा रमासा पीर, हंप्टी शर्मा की दुल्हनिया जैसे फिल्मों के गीतों को आवाज दे चुकी प्रतिभा सिंह वघेल का। वे सोमवार को इंदौर में 27 जनवरी को होने वाले सा रे गा मा पा के ऑडिशन के प्रमोशन के लिए आई थीं उन्होंने कहा कि गायकी की बारिकियों को सीखने के बाद आप अपनी पर्सनैलिटी में थोड़े बदलाव कर के अच्छे परफॉर्मर बन सकते हैं।
रीवा की रहने वाली प्रतिभा सिंह बघेल ने बताया कि उनके बॉलीवुड की सफर की शुरुआत इंदौर से ही हुई थी। 2008 में वे इंदौर लता मंगेशकर अवॉर्ड लेने के लिए आई थी, तब उन्हें सा रे गा मा पा के ऑडिशन के बारे में जानकारी मिली थी, ऑडिशन में सिलेक्शन के बाद सिंगिंग का एक बढ़ा प्लेटफॉर्म मिल गया। शो में काफी कुछ सीखने को मिला और फिल्म का रास्ता खुल गया। मैं शो में नही जाती तो शायद इंडस्ट्री में जाने के बारे में सोच भी नहीं सकती थी।
मिडिल क्लास फैमिली की प्रतिभा सिंह बघेल ने बताया कि संगीत मुझे विरासत में मिला है। पापा पुलिस में हैं पर वे भी काफी अच्छे सिंगर हैं और काका बहुत अच्छा तबला बजाते हैं। इसलिए मुझे कभी संगीत सीखने से किसी ने नहीं रोका, पर मां चाहती थी कि मैं इंजीनियर बनूं। जब मैंने 11वीं में मैथ्स को सब्जेक्ट लिया तो प्रिंसिपल सर ने मुझे बुलाकर समझाया, उनकी उस सलाह के बाद मैंने संगीत को अपना सब्जेक्ट चुना।
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