
दिलीप अवस्थी
जेएनयू से एक तथाकथित बुद्धजीवी फिर उग आया, लच्छेदार भाषण देकर अपने आपको देश का सबसे बड़ा हमदर्द बताने लगा, मीडिया भी उससे इस तरह लिपट गयी जैसे विगत कई महीनो से उसे भोजन नही मिला हो, केजरीवाल के बाद अब उसे ठीक भोजन मिला …..अरे कन्हैया शर्म करो इतने साल से सरकार के दामन में बैठ कर रोटी तोड़ रहे हो और तुम्हारे बूढ़े माता-पिता खेतो की खाक छान रहे है….आज उनका हाथ बटाते तो पैदावार दुगुनी हो जाती…और दुसरे युवाओ के लिए प्रेरणा बन जाते …पर शायद तुम्हे पता है ,कि देश की जनता को सिर्फ लच्छेदार भाषण से गुमराह किया जा सकता है और उसको तुम भली भाति करने की कोशिश कर रहे हो…….इस देश को कोई फर्क नही पड़ता, की केजरीवाल के बाद एक कन्हैया और आ जायेगा…वो भी थोडा देश को लूट लेगा …मीडिया फिर कोई नया कौआ ढूढ़ लेगा …और वो फिर गरीबी ,बाबा साहेब, पिछड़ा की दुहाई देने लगेगा. अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की बात करते हो ….वो तो हमारे देश की संस्कृति में ही समाई हुयी है ….अन्यथा बाप की कमाई में रोटी नही तोड़ते… हमें देश की उन्नतशील युवाओ की जरूरत है…राजनीतिक नहीं…..सरकार और कोर्ट को इस ओर भी विचार करना होगा की हमारे देश की उच्च शिक्षा संस्थाओ में कोई भी छात्र कितने समय तक पढ सकता है….उसकी गतिविधिया कितने समय तक पढाई में सलग्न रहती है….साथ ही संस्थान में पढाने वाले शिक्षक अपनी जिम्मेदारी को कहा तक निभाते है.
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