
सिद्धार्थ मल्हात्रा, फवाद खान और आलिया भट्ट अभिनीत बहुचर्चित फिल्म कपूर एंड संस शुक्रवार को रिलीज हुई। धर्मा प्रोडक् शन के बैनर तले निर्मित यह फिल्म ऋषि कपूर के बेजोड़ अभिनय के लिए याद की जाएगी। शकुन बत्रा के निर्देशन में कसावट नजर आती है, लेकिन कुछ जगह बेवजह फिल्म को बढ़ाया गया है, जो फिल्म को कमजोर बनाती है।
कपूर एंड संस एक परिवार की कहानी कहती है, जिसका हर सदस्य अपने-अपने तरीके से जीवन जीने में यकीन रखता है। किसी भी सदस्य का दूसरे सदस्य से विचार नहीं मिलते। अकसर लड़ाई-झगड़े होते रहते हैं। कभी माता-पिता के बीच तो कभी भाई-भाई के बीच…कह सकते हैं कि यह बिखरे हुए परिवार की तरह है। कपूर खानदान के सबसे बड़े मेंबर (ऋषि कपूर) एक मस्तमौला इंसान हैं। वो करीब 90 साल के हैं, लेकिन मन से वो जवान हैं। मरने के पहले उनकी आखिरी इच्छा है कि वो अपने पूरे परिवार के साथ एक फैमिली फोटो खिंचवाएं।
इस फिल्म की अच्छी बात यह है कि यह एक मॉडर्न फैमिली ड्रामा है, जो लंबे समय बाद पर्दे में ढाला गया है। शकुन बत्रा ने आज के जमाने के परिवार को दिखाने की कोशिश की है, जिसमें वो कुछ हद तक कामयाब भी हुए हैं। उन्होंने दिखाया है कि कैसे आज के दौर में एक भाई अपने दूसरे भाई की ख़ुशी के लिए अपना प्यार अपना कॅरियर कुर्बान नहीं करता… जैसे पुराने जमाने की फिल्मों में हुआ करता था। आज लोग अपने हक के लिए लडऩा जानते हैं।
फिल्म का कमजोर कड़ी यह है कि इसे बेवजह खींचा गया है। इंटरवल तक फिल्म बांधे रखती है, लेकिन उसके बाद फिल्म बहुत बोरिंग और स्लो हो जाती है और इमोशन और रिश्तों की खिचड़ी पका दी जाती है। ट्रेलर देखकर ऐसा लगा था कि या तो ये दो भाइयों के बीच के रिश्ते की कहानी होगी या फिर लव ट्रायंगल होगा। लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं है। ये सिर्फ एक बिखरे हुए परिवार की कहानी है।
कुल मिलाकर फिल्म औसत दर्जे की है, जिसे आप वीकेंड पर टाइम पास के तौर देख सकते हैं।
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