नई दिल्ली। असम विधानसभा की 126 सीटों के लिए मतदान हो चुका है। जनता ने उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला कर दिया है। अब इसका पता 19 मई को ही लगेगा, लेकिन राज्य में चुनावी तस्वीर अभी तक साफ नहीं है। राज्य में कोई भी सियासी पार्टी अपनी जीत के प्रति आश्वस्त नहीं है। यानि मतदाताओं का मन कोई नहीं पढ़ सका है। किसी भी पार्टी या गठबंधन के पक्ष में हवा नहीं है। अंतिम क्षण में भारतीय जनता पार्टी ने असम गण परिषद (अगप) के साथ गठबंधन किया, जबकि हाग्रामा मोहिलारी नेतृत्व वाले बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट (बीपीएफ) के साथ उसका गठबंधन पहले से था।

कांग्रेस बोडोलैंड को छोड़ पूरे राज्य में अकेले चुनाव लड़ी। बिहार में कांग्रेस की सहयोगी जेडीयू ने असम में उसके लिए मुश्किलें खड़ी कर दी है। जेडीयू और आरजेडी ने विधानसभा में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी एआईयूडीएफ के साथ तालमेल करके बीजेपी को रोकने के लिए एक लोकतांत्रिक मोर्चा बनाया है और बदरूद्दीन अजमल इस मोर्चे के नेता हैं। जाहिर है लोकतांत्रिक मोर्चा कांग्रेस के वोट में सेंध लगाएगा। अजमल का आक्रामक चुनावी प्रचार अंदाज अगर ध्रुवीकरण करने में सफल रहा तो कांग्रेस को बड़ा नुकसान संभव है।
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