साल 2012 में अमरीका की लॉरेन कोर्नाकी ने अपने पिता को बीएमडब्ल्यू कार के नीचे से निकाला. 22 साल की लॉरेन ने अकेले ही BMW 525i उठा ली थी. इसी तरह, 2005 में टॉम बॉयल नाम के एक शख़्स ने शेवर्ले की कमारो कार अकेले ही उठाकर उसके नीचे दबे एक आदमी को निकाला था.

इंसान की बेपनाह ताक़त के बारे में बताने वाली ये कहानियां हरदम कार पर ताक़त दिखाने वाली नहीं होतीं. कनाडा की लिडिया एंजियो, अपने दोस्तों और बच्चों को बचाने के लिए पोलर बियर से भिड़ गई थीं.
इन तमाम दिलचस्प क़िस्सों से एक ही सवाल उठता है कि आख़िर इंसान के अंदर बेपनाह ताक़त कैसे आ जाती है. वैज्ञानिक इसे समझने की बरसों से कोशिश कर रहे हैं. शायद जब ज़िंदगी का मुक़ाबला मौत से होता है तो ऐसी आसमानी ताक़त इंसानों के अंदर आ जाती है.
ऐसे तजुर्बे आप किसी लैब में तो कर नहीं सकते कि इंसान को लगे कि सवाल ज़िंदगी और मौत का है. कनाडा के न्यूरोसाइंस के प्रोफ़ेसर ई पॉल ज़ेहर कहते हैं कि ऐसी घटनाएं अचानक हो जाती हैं.
इस बात को समझने से पहले एक बात साफ कर दें कि अक्सर होता ये है कि जो हज़ारों किलो वज़न उठाने की बातें बताई जाती हैं, अक्सर वो बढ़ा-चढ़ाकर कही जाती हैं.
कार उठाने की ही मिसाल लीजिए. अक्सर बताया जाता है कि फलां इंसान ने डेढ़ टन वज़न की कार उठा ली. मगर सच्चाई ये है कि वो शख़्स पूरी कार का वज़न नहीं उठाता. एक हिस्से को ही उठाता है. वो भी ज़मीन से थोड़ा ऊपर ही उठाता है.
वज़न उठाने का वर्ल्ड रिकॉर्ड सिर्फ़ 524 किलो का है. ये रिकॉर्ड दुनिया के सबसे ताक़तवर शख़्स का खिताब पाने वाले ज़ाइड्रुनास सैविकास ने बनाया है. ज़रा दिमाग़ लगाइए. क्या कोई इंसान किसी वर्ल्ड चैंपियन से तीन गुना ज़्यादा वज़न उठा सकता है?
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