
मोहम्मद अहमद खान लाहौर के बाशिंदे हैं। वे पुराने दुर्लभ गीतों को सहेजने का वही काम कर रहे हैं जो हमारे यहां सुमन चौरसिया कर रहे हैं। खान कहते हैं कि एक दफा अनसुने गाने तलाशने के लिए वो दिल्ली आए थे। वहीं उनके दोस्त कयामुद्दीन ने सुमन के नायाब कलेक्शन के बारे में बताया तो वे बेताब हो गए। सुनहरी दौर के गीतों को जुनूनी हद तक पसंद करने वाला ये शख्स सुमन से मिलने इंदौर आ गया।
सिटी लाइव से खास मुलाकात में खान ने बताया कि सुमन के कलेक्शन को देखकर वे हैरान रह गए थे। बकौल खान, उनके कलेक्शन में वे गीत भी हैं जो लताजी के पास भी नहीं थे। उन्होंने लता को मशहूर शायर कतील शिफाई के जरिये ऐसे नायाब नगमे भिजवाए थे।
खान कहते हैं कि सुमन के कलेक्शन में उन्हें ऐसे सैकड़ों गीत मिल गए जो उनके कलेक्शन में भी नहीं थे। यहां उन्हें खूबसूरत नगमों का खजाना मिल गया। वे कहते हैं- मैं बहुत दिनों से शंकरलाल गुप्ता, सुरिंदर और एसडी बातिश के कुछ गीत ढूंढ रहा था। यहां आकर मेरी तलाश पूरी हो गई। मैं यहां से रिकॉर्डिंग ले जाकर सीडी बनवाता हूं। फिर इस अनमोल खजाने को मौसिकी के शौकीनों में मुफ्त बांटता हूं।
खान ने कहा कि पुराने गीतों की मेलोडी का कोई तोड़ नहीं। इसलिए वो गीत आज भी जवां हैं और आगे भी रहेंगे। नए दौर के बेसिर-पैर के गीतों ने भी पुराने गीतों को रवां रखने में अहम रोल अदा किया है। यही वजह है कि हिंदुस्तान के साथ पाकिस्तान में भी लता, रफी, मुकेश जैसे सिंगर्स बेइंतहा पसंद किए जाते हैं।
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