
शहर का दिल कहे जाने वाले राजवाड़ा का एक तरफ का हिस्सा सोमवार को धराशायी हो गया। सुबह आठ बजे ऊपरी मंजिल का छज्जा गिरा। इसके बाद 11.58 से 12.01 बजे (3 मिनट) के बीच दो मंजिल भरभराते हुए जमींदोज हो गई। 200 साल पुराने राजवाड़ा के इस हिस्से में दो महीने पहले बड़ी दरारें देखी गई थीं। घटना के बाद लाइट एंड साउंड शो को बंद कर दिया गया है। राजवाड़ा 1818 से 1833 के बीच मूर्त रूप में आया।
लकड़ी, ईंट और चूने से बने राजवाड़ा के उत्तर-पूर्व भाग में तीन महीने पहले बड़ी दरारें उभर आई थीं। सुबह आठ बजे उसी भाग में छज्जा गिरा और दो मंजिलें खतरनाक स्थिति में पहुंच गईं। दोपहर 11.45 बजे खतरनाक हो चुका हिस्सा ताश के पत्तों की तरह ढह गया। सोमवार को राजवाड़ा पर्यटकों के लिए बंद रखा जाता है। इस कारण जनहानि नहीं हुई।
दो दिन पहले हुई बारिश के कारण दरारों से होकर पानी भीतरी हिस्सों में चला गया था और पानी के कारण छत भारी हो गई थी। रविवार शाम को छत का बोझ बढ़ने से छज्जे को सहारा देने के लिए लगाए गए लोहे के एंगल भी गिर गए थे। सोमवार को तो दोनों मंजिल पूरी तरह टूट गईं।
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