7 अगस्त शाम 6 से, 8 अगस्त शाम 6 बजे, कुल 24 घंटे 400 मीटर के 507 लेप्स करीब 203 किलोमीटर की सतत दौड़4600 किलोमीटर इंदौर से बेंगलुरु यशवंतपुर (कर्नाटक) की थका देने वाली लम्बी यात्रा । निढ़ाल कर देने वाली गर्मी, पल पल दौड़ में बाधा बन रही थी कई नामचीन धावक गर्मी के सामने हार मान दौड़ से बहार हो चुके थे । उस बीच हल्की सी बारिश ने आग में घी का काम किया स्पर्धा चरम सीमा में थी मजे हुवे धावक हार मानने को तैयार नही थे सिर और बदन पर पानी डाल सतत दोड़ रहे थे कुछ फिजियो की मदद से शरीर की टूट फुट को मरहमपट्टी करवा रहे थे,तो कुछ डायट प्लान चेंज कर गर्मी से निजात पाने की नाकाम कोशिश कर रहे थे । ऐसे में सदी हुई गति नमक का उपयोग कर अपने को क्रैम्प से बचाते हुवे 200 किलोमीटर का टारगेट सेट कर घड़ी से बात करते हुवे । अपनी गाड़ी को दूसरे गैर में ही चलाना उंचीत समझा ओर सतत दौड़ जारी थी । परंतु जूते में कैद पैर मोम की तरह पिघल रहे थे । तलवे छील से गए नाखून काले पड़ गए छाले फुट कर घाव बन गए यहाँ हिम्मत हारना मतलब दौड़ से बहार डिस्टेंस 220 का था पर पैर में असहयनी दर्द के बावजूद अंततः 24 घंटे का सफर तय कर ही लिया हम इंदौरी कहा रुकने,थमने वाले विजय बिगुल बजते ही ये कदम थमे ओर सूर्य देव को प्रणाम कर अगले मिसन इस से भी ज्यादा गर्मी में एक रेकार्ड खंडित करने के प्लान को लिए इंदौर की ओर कुच कर गए ,ये कदम जल्द ही मुलाकात होगी एक खतरनाक मिसन पर विजय पाने की वैसे 24 घंटे स्टेडियम रन का यह मेरा पहला अनुभव था 12 घंटे स्टेडियम रन में तो बहुत झंडे गाड़े है । ऐसी जानकारी भी लगी कि 24 घंटे में 200 किलोमीटर करने वाले अब तक इंडिया में शायद 10 से 15 ही है अपुन अपने पहले अनुभव और सब से कम उम्र में 24 घंटे में 203 करने वाले सब से युवा धावक भी बने तो भैया जी आशीष बनाए रखना आप का यही आशीष हर दौड़ में मेरा रक्षा कवच बन काम करता है